कवि रमेश चंद्र भाट जी द्वारा 'कविता - आजादी की कीमत' विषय पर

बदलाव अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य मंच

दिनांक--15-08-2020

शीर्षक- आजादी की कीमत
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स्वरचित कविता
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हे  भारत  माँ की   संतानों,
आजादी की  कीमत जानो।
हंसकर फांसी पर लटक गए,
उनके बलिदान को पहचानों।
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बिरवा मुक्ति का बोया था,
अपने शोणित से सींचा था।
फिर खाद पड़ी नरमुंडों की,
क्रांति का  अंकुर  फूटा था।
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इतिहास पढो तुम वीरों का,
मन में नव जोश  जगाएगा।
बातों से मिली थी आजादी,
यह भ्रम सारा  मिट जाएगा।
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सत्तावन से सैतालिस तक,
बलिदान की कई कहानी है।
बलिदान की कदर करो रमेश,
बेकदरों को समझाना है।
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संघर्ष से  सब पा सकते हैं,
मेहनत  से ना  घबराना है।
तुम  काम करो  युवा ऐसा,
भारत की  शान बढाना है।
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हे  भारत  माँ की   संतानों,
आजादी की  कीमत जानो।
हंसकर फांसी पर लटक गए,
उनके बलिदान को पहचानों।
🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳
🙏 🙏 🙏  🙏 🙏 🙏
नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी,
 रावतभाटा, चितौड़गढ़,
राजस्थान।
मो.9413356728

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