सामाजिक समरसता का,शुभ मन्दिर जन-मर्यादा का




सामाजिक समरसता का ,शुभ मन्दिर जन -मर्यादा का
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संविधान -आदेश ,देश ,
आधार हरि धर्मादा का ।
सामाजिक समरसता का ,
शुभ-मन्दिर ,जन -मर्यादा का।।
अहम पड़ाव -ए आया है 
पुलकित कण कण मुस्काया है ।
शिलान्यास हलचल प्रभु की ,
अवतार हर्ष दिल भाया है ।।
शासन सत्ता का मोह नहीं  
राम -राज्य परिभाषा का ।
सामाजिक समरसता का ,
शुभ- मन्दिर , जन-मर्यादा का ।।
हम भेद-भाव से दूर रहें ,
आदर्श सीख मगरूर रहें ।
तृण-तृण में बसते राम जपें ,
सच कहें सदा मशहूर रहें ।।
भव्य छवि अनुपम मन मोहक ,
धर्म -कर्म हर कायदा का ।
सामाजिक समरसता का ,
शुभ-मन्दिर ,जन-मर्यादा का ।।
था इन्तज़ार सदियों को भी ,
मन मन्दिर बने अयोध्या का ।
सबरी ,केवट ,सुग्रीव मित्र ,
कपिश्रेष्ठ वीर सैंग योद्धा का ।।
राम लला हृदय में बसे जो  ,
दर्शन मिलना ,गण वायदा का ।
सामाजिक समरसता का ,
शुभ -मन्दिर ,जन मर्यादा का ।।

डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज "
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)


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