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। *विषय=सृजन*
करेंगी सृजन नव जीवन का,नई चेतना लाएंगी,
तेरी मेहनत तेरी लग्न सुख के अंकुर उगाएंगी,।
नई नई कलियां लगेंगी फूल खिल खिलाएंगे,
तरुवर की होगी छाया, मीट्ठे फल भी आएंगे,
सिंचित मूल अगर,तेरे पसीने से होती जाएंगी।।
तेरी मेहनत तेरी लग्न सुख के अंकुर उगाएंगी,।।
प्रसव सी पीड़ा होगी ,परिणाम प्रत्यक्ष प्रमाण होंगे,
पारितोषिक पूर्ण पल्लव ,नित नव निर्माण होंगे,
कांटो में फूल खिलेंगे ,तेरी हिम्मत ही तुझको जिताएंगी।
करेंगी सृजन नव जीवन का नई चेतना लाएंगी।।
होकर निराश कभी हृदय पे बोझ ना लाना,
सीख लो कष्ट सहना ,दर्द गम खाना,आंसू पी जाना,
तेरी कर्मट्ठता,तेरी निष्ट्ठता जितनी गहरी होंगी
फल उतने ज्यादा उगाएंगी,।।
*मौलिक*
*आशीष आकांक्षी*
*एल. एस.तोमर प्रवक्ता तीर्थांकर* *महावीर विश्वविद्यालय* *मुरादाबाद*
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