"रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं "
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देखो झूम कर आया प्रेम का संदेश लेकर मस्ताना सावन,
लिये हथेली सजी हुई हरियाली की स्नेहिल थाल पावन।
बरसने लगे हैं आशाओं के बादल, छेड़ते है नव तरंग,
जाते हुए वक़्त भी कर जाता है राखी-पर्व का अभिवादन।
खुशी से बाबली होकर झूमती, नाच-नाच गाती है हर बहना,
मायके में होती सुसज्जित भाई के प्यार से भरी गहना।
भाई सदा बहन की मान मर्यादा का होता है सुरक्षा कवच,
कृष्ण - द्रौपदी ने सिखलाया भाई बहन को प्रेम से रहना।
बहन के खुशी के लिए भैया गये परदेश,
ओ सूरज ओ चंदा तू पहुँचा दे मेरा संदेश।
तेरी लाडली तुझे बुला रही पलक बिछाए,
राखी पर्व है,आ जाओ छोडकर काम शेष।
अक्षत चंदन धूप दीप राखी से थाली सजाई,
बाँधी रेशम की डोर सजा दी भैया की कलाई।
आँचल फैलाकर रब बहना माँग रही रब से,
छू भी न पाए भैया को कोई ग़म की परछाई।
** एकता कुमारी **
Badlavmanch
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