कवयित्री शिवांगी मिश्रा जी द्वारा 'जग का मेरा प्यार नहींं था' विषय पर रचना

*शीर्षक -: जग का मेरा प्यार नही था*
*विधा -: गीत*

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जग का मेरा प्यार नहीं था ।

प्रेम दीप में जलते जलते ।
प्रेम आश में पलते पलते ।।
ह्रदय किया था तुम्हें समर्पित , साधारण उपहार नहीं था । (१)

जग का मेरा प्यार नहीं था ।।

नयी किरण थी खिली खिली सी ।
उठी लहर थी मिली मिली सी ।।
तुम पर जीवन किया था अर्पित , गहनों का श्रृंगार नहीं था । (२)

जग का मेरा प्यार नहीं था ।।

तेरे मिलन की आशाओं में ।
दीप जला रक्खे राहों में ।।
भला मेरा अनमोल प्रेम ये , क्यूँ तुमको स्वीकार नहीं था । (३)

जग का मेरा प्यार नहीं था ।।

सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना ।
स्वरचित.....
शिवांगी मिश्रा
धौरहरा लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश

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