हम साथ-साथ है,
अनेक धर्म और रूप अलग,
अलग अलग है भाषा बोली।
भारत माँ की रक्षा में हमने,
गोली सीने पर मिलकर झेली ।
कितना भी कोई जोर लगा ले,
हम बोलेंगे वीरों की बोली।
इस मिट्टी में पले-बढ़े हम,
अन्न -जल भारत-माता का।
दिखला देंगे इस मिट्टी का दम,
जो आँखे दिखलायें माँ को।
चीर के सीना रख देंगे हम,
इस वीर भूमि के वीर सपूत।
नही डरेंगे हम साथ-साथ है,
तोड़ ना पाये हमको कोई!
हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
हम आपस मे पहले भाई!
मिलकर फर्ज निभाने को,
हमने माता से ये कसमें खाई!
माता की लाज बचाने को,
भारतवासी हम साथ-साथ है!
जहाँ हर नारी है लक्ष्मीबाई,
जैसी माता थी जीजाबाई!
यहाँ राजपूताने की नारी ने,
जौहर जैसी बीरता दिखाई!
आजाद,भगतसिंह, राजगुरू,
की शहादत से मिट्टी लाल हुई!
यहाँ हर बेटे के सीने में मर- मिटने,
की ज्वाला हरवक्त धधकती है!
तिरछी नजर भी दुश्मन डाले तो,
मिलकर छलनी कर देंगे सीना!
दुश्मन का,हम साथ-साथ है,
यहाँ माँ लक्ष्मी लेटी मिट्टी में!
यहाँ अनेकता में एकता का,
पाठ पढाती हर घर की हर बेटी है!
एकता के सूत्र में बाँधने की,
सदियों पुरानी ये हमारी संस्कृति है !
हमे साथ-साथ मिलकर रहने की,
यहाँ हर घर मे लक्ष्मी-सरस्वती का वास!
दोनों संग-संग मिलकर ये कहती,,,
कि भारतवासी हम साथ-साथ है!
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
कवयित्री:- शशिलता पाण्डेय
🌹समाप्त🌹
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