शिक्षक दिवस पर मेरी रचना
शिक्षक
शिक्षक का पेशा होता है महान
देवे शिष्यों को संंपूर्ण ज्ञान
समाज मे उसका उच्च स्थान
अंधकार को दूर करे, विधार्थियों के जीवन मे फैलाए प्रकाश
हर कोई करे शिक्षक का सम्मान
सभ्य और शिक्षित समाज का निर्माता
बच्चों के भविष्य का बने भाग्य बिधाता
गुरु चेले का पवित्र नाता
शिष्यों का बेड़ा पार कराता
शिक्षा के बिना मनुष्य अधूरा
शिक्षा से ही होता जीवन पूरा
गुरु की महिमा अपरंपार
विधार्थियों का करे उद्धार
देता शिष्यों को अच्छे संस्कार
सिखाता जीवन मे आचार और व्यवहार
समाज मे ऐसे भी शिक्षक हैं
जो शिक्षा के क्षेत्र मे कलंक हैं
शिक्षा को व्यापार समझते हैं
मासूम विधार्थियों को पथभ्रष्ट करते हैं
योग्य विधार्थियों को प्रताड़ित करते हैं
टयूशन पढने के लिए मजबूर करते हैं
ऐसे गुरु गुरु नहीं गुरुघंटाल हैं
जो केवल सिर्फ रखते अपना ख्याल है
हमारे समाज के लिए पामाल हैं
विधार्थियों के बीच फैलाते भ्रम और मायाजाल
ऐसे गुरु अपवाद हैं
जो शिक्षा के लिए अवसाद हैं
अपने स्वार्थ हेतु बवाल और फसाद हैं
ऐसे गुरु सच्चे गुरू नहीं जल्लाद हैं
सच्चे शिक्षक समाज की शान
सारे करें इनका सम्मान
शिक्षा क्षेत्र मे इनका असीम योगदान
अपनी योग्यता और निष्ठा से ऊंचा नाम
आओ करे गुरूओं का सम्मान
सच्चे गुरु जनों को सादर प्रणाम
अशोक शर्मा वशिष्ठ
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