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बेटी अनमोल रत्न
बेटियांँ
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भारतीय संस्कृति की आन-बान-शान है बेटियांँ।
हर काम में निपुण,सदगुणों की खान है बेटियांँ।।
घर-आंँगन की निराली खुशबू होती है बेटियांँ।
पिता के भाल पर तिलक बन रहती है बेटियांँ।।
ठुमक-ठुमक, मनभावन प्यार लुटाती बेटियांँ।
संकट कितना भी, खुशियों का सावन बेटियांँ।।
तभी सब कहते,साक्षात दुर्गा का रूप है बेटियांँ।
समय आने पर,झांँसी की रानी बन जाती बेटियांँ।।
सुंगध किसी बगिया की,तो गगनपरी है बेटियांँ।
चाहे कम बोले पर,काल से कब डरी है बेटियांँ।।
बेटों की चाह सभी को,वंश तो चलाती हैं बेटियांँ।
इस जीवन में परमेश्वर का अंश होती है बेटियांँ।।
राजस्थानी विनती करता,बेटी अनमोल धरोहर।
पीले हाथ करने का मिले सभी को शुभ अवसर।।
©®
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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