🔥क्या अन्तर है सोच जरा 🔥
*************************
चंचलचित मन मोच जरा ,
क्या अन्तर है सोच जरा ।
स्वार्थ के मनमानी में ,
सत्य के आनाकानी में ।
धुआं आग और पानी में,
मानव समझ जवानी में ।
भटके मनको खोज जरा।
क्या अन्तर है सोच जरा।
भक्ति भाव भवगीरी में,
चाहत चमचागीरी में।
निर्धनता अमीरी में,
साधुता सुख फकीरी में।
कंचन कामिनी नोंच जरा,
क्या अन्तर है सोच जरा।
अपयश की अगुआई में,
सहता अहं धुलाई में।
नेकी दान भलाई में,
दिल दरिया गहराई में।
चिन्ता मौत की चोंच खरा,
क्या अन्तर है सोच जरा।
काया छाया माया में,
अपना और पराया में।
लिया दिया कमाया में,
लाया खोया पाया में।
कवि काया है कोंच जरा,
क्या अन्तर है सोच जरा।
************************
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार )841508
मो0नं0 - 9572105032
*************************
0 टिप्पणियाँ