कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'आज़ादी के मतवाले' विषय पर रचना

आजादी के मतवाले
   शहीद भगत सिंह
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 था आजादी का वो दीवाना,
पहन केशरिया ताना-बाना।
जन्म लिया 28 सितंबर 1907 को,
लायलपुर जिले के बंगा में।
 भगत सिंह क्रांति का दूजा नाम ,
सम्पूर्ण क्रांति लाना था काम।
हिल उठा था सिंहासन अंग्रेजो का,
जब शहीद भगत सिंह दहाड़ा।
आजादी के दीवानों का कुलदीपक,
देकर इंकलाब जिंदाबाद का नारा।
 सरदार किसन सिंह का वो लाल,
साहस जोश था गजब कमाल।
 फिरंगियों के रातों की नींद उड़ाई,
 विरोध करने को साइमन कमीशन।
सुखदेव,भगवती,आदि संग टीम बनाई,
लेने को बदल जलियांवाला बाग कांड का,
 गलती से ब्रिटिश स्काट को मारी गोली।
 दहाड़ उठा शेर बोला इंकलाब की बोली,
भारतवासियों के सीने धधक उठी आग ।
 क्रांति की चिंगारी फैलाया जन-जन में,
कीर्ति किसान में लिखा, भारतवासी जाग।
 ललकारा अंग्रेजो को साइमन के खिलाफ,
साथियों संग फेका बम ब्रिटिश असेम्बली में।
 उसने अंग्रेजो से बदला लेने की ठानी थी,
इंकलाब जिंदाबाद हूंकार उठा था जोश में।
आजादी का अमर हुआ था वो दीवाना ,
हँसते-हँसते  फाँसी पर झूल गया था वो।
 "रंग दे बसंती चोला",आजादी का तराना,
 देखे थे 23 बसंत पर सबकुछ वो भूल गया।
आजादी के लिए दीवाना फाँसी पर झूल गया,
हुआ अमर वो मतवाला ,आजादी का दीवाना।

 स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री-शशिलता पाण्डेय

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