कवयित्री व लेखिका अंजली खेर जी द्वारा 'चीनू-मीनू की सीख' विषय पर लेख

सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत -:

चीनू -मीनू की सीख 

       चीनू और मीनू पक्‍की सहेलियां थीं और एक ही कक्षा में पढ़ती थीं, अड़़ोस-पड़ोस में रहती, साथ खेलतीं, साथ पढ़तीं थीं  । स्‍कूल की सृष्टि मैडम तो मानों उनकी आदर्श थीं ।  वो जो भी बताती, सिखाती वो तो उन दोनों के लिए पत्‍थर की लकीर ही बन जाया करतीं  ।
       छुट्टी के दिन तो मॉ का दुपट्टा बॉंध टीचर बन जाया करतीं और घर के सभी सदस्‍यों को सामने बिठाकर ठीक उसी तरह डांटती, समझातीं जिस तरह क्‍लास में सृष्टि मैडम ।  
       इधर कुछ दिनों से चीनू-मीनू के परिवार वाले देख रहे थे कि वो दोनों बाज़ार जाने वाले हर सदस्‍य के हाथ में कपड़े का बैग थमा देतीं और कहती कि सामान खरीदकर लाओ तो इसी बैग में रखकर लाना, पॉलीथिन में मत रखना और घर में मॉ को प्‍लास्टिक के बर्तनों का उपयोग करने के लिए भी मना किया करतीं ।
     कई बरसों से सरजू काका रोज़ाना सब्‍ज़ी बेचने उनके मोहल्‍ले में आया करते थे । एक रोज़ रविवार वाले दिन जब वह सुबह सुबह हरी-भरी ताज़ी सब्‍ज़ी का ठेला लेकर आये तो आंगन में खेल रही चीनू और मीनू की नज़र ठेले के हत्‍थे पर टंगी पन्नियों पर पड़ते ही वह काका के पास जाकर पूछने लगी –‘’काका, आपको तो पता होगा ना कि पॉलीथिन किस तरह हमारे स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचाती हैं ? फिर ये पन्नियां क्‍यों रखीं हैं आपने अपने पास ? 

काका बोले-‘’बिटिया, कोई सब्‍जी खरीदेगा तो पन्‍नी में ही तो रखकर देना पड़ेगा ना?  इसीलिए पन्‍नी साथ रखनी पड़ती हैं ।

इसका मतलब यदि पन्‍नी में रखकर नहीं देंगे तो क्‍या लोग सब्‍जी ही नहीं खरीदेंगे ? – चीनू पूछने लगी
बिेटिया, लोगों को अपने साथ झोला रखने की आदत नहीं हैं ना । क्‍या करें ? हमें तो रोज़ी रोटी कमानी है, इसलिए सब्‍जी खरीदने वालों के लिए पन्‍नी रखना हमारी मज़बूरी हैं । 
     कोई नहीं काका, आज हम दोनों आपके ठेले पर बैठकर लोगों को पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे, देखना कल से लोग अपने साथ थैली रखने की आदत बना लेंगे । 
     फिर चीनू-मीनू सरजू काका के ठेले पर जगह बनाकर बैठ जाती हैं और हर सब्‍जी खरीदने वाले को सृष्टि मैडम की बताई हिदायतें समझाते हुए ‘’पॉलीथिन को बाय-बाय’’  कहने की आदत डालने की समझाइश देती हैं ।

 सुनकर सारे मोहल्‍ले की महिलाएं उनसे वादा करती हैं कि वे अपने साथ कपड़े के थैले लेकर ही बाज़ार जाएंगी । सुनकर चीनू-मीनू खुशी से फूली न समाईं । 

अंजली खेर- 
भोपाल-

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