विषय - रसखान
विधा - कविता
हे सैयद इब्राहिम, तुम रसखान कहाए
1548 में पिहानी, {हरदोई }में जन्मे
श्री कृष्ण भक्ति में, जब मुग्ध हुए तुम
विट्ठलनाथ से दीक्षा ले, बृज भूमि बसे..।।
कृष्ण, कृष्ण भूमि प्रति, अनुरक्ति तुम्हारी
कृष्ण रूप माधुरी, बृज महिमा काव्य बनी
प्रेम लीलाओं का, अद्भुत वर्णन किया
राधा कृष्ण सगुण भक्ति का, प्रवाह किया ..।।
रीतिकालीन रीतिमुक्त कवि, प्रसिद्ध हुए
वल्लभ संप्रदाय के भक्ति श्रृंगार, प्रधान हुए
बाल,रास,फाग,कुंज लीलाएं अनेक रची
सीमित परिधि में असीमित रचनाएं रची ..।।
लौकिक रसास्वादन कर आलौकिक रस लीन हुए
हिंदी,फारसी, संस्कृत ज्ञानी, अनेकों ग्रंथ रचे
सुजान रसखान, 139 कवित्त सवैया छंदों में
प्रेम वाटिका 52दोहों से, तुमने रच डाली
भागवत का फारसी में, अनुवाद किया
रसखान रचनावली में, रचनाएं संग्रह हुई..।।
हे श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक !
1628 में वृंदावन से परलोक सिधारे..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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