कवयित्री शिवांगी मिश्रा जी द्वारा रचना ( विषय- विधा गीत जीवन के माझी)

*शीर्षक-:जीवन के माझी*
*विधा-: गीत*
 
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तुमसे मिले तो ये पाया सिला है ।
जीवन का ये दर्द तुमसे मिला है ।।
तुमसे मोहब्बत तुम पर यकीं था ।
तुमसे ही सारा ये शिकवा गिला है ।।
जीवन की डोरी को सौंपा था तुमको ।
तुमसे ही प्रेम का पुष्प खिला है ।।
तुमसे ही प्रेम की महकी फिजाएं ।
तुमसे ही प्रेम का सार मिला है ।। (१)
                   तुम तो हो प्रेम के नैय्या खेवैय्या ।
                   तुमसे ही धार का तार जुड़ा है ।।
                   इसको डुबो दो या पार लगा दो ।
                   संग ही रहेगा ये जिद पे अड़ा है ।।
                 दर दर भटकता ये प्रेम की आस में ।
                 अब भी लिए आस हिय में खड़ा है ।।
               तुमको ही सुख दुख का साथी बनाया ।
                 मेरा ह्रदय तेरे द्वार पड़ा है ।। (२)

कितना भी कर लो प्रयत्न डिगाने का ।
प्रेम भरा है ये प्रेम शिला है ।।
अम्बर झुके चाहे धरती फटे ये ।
प्रेम में डूबा ह्रदय ना हिला है ।।
प्रेम किया स्वीकार ना मेरा ।
फिर भी ना तुमसे कोई गिला है ।।
थाम लो हाँथ या तोड़ दो बंधन ।
तुमको ही ये अधिकार मिला है ।। (३)

स्वरचित.....
शिवांगी मिश्रा
लखीमपुर खीरी

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