कवयित्री रुचिका धानुका जी द्वारा रचना “इंसान"

शीर्षक-इंसान

कहते हैं हम
कि मौत से डर नहीं लगता 
कहते हैं हम 
कि मौत से डर नहीं लगता 
पर मौत का एक छोटा सा झटका 
भी छिन लेता है महीनों का सुकून 
रातों की नींद और दिन का चैन 
हर आहट से फिर 
लगता है डर 
कहीं ले न जाए दूर 
ये मौत का समंदर 
अपनों का प्यार
 और बच्चों की चिंता 
खाए जाती है  हर बार 
कहीं छिन ना जाए 
अपना ये  परिवार 
जिसके लिए ही जीता है 
हर एक इंसान 
यही तो है हमारा सम्मान 
हमारे जीने का मकसद 
हमारी जान
फिर भी कुछ लोग 
नहीं समझ पाते 
अपनों को जोड़ कर
 रख नहीं पाते 
करते हैं बच्चों में ही फर्क 
अपने ही बच्चों को समझ नहीं पाते 
और उनको ही भीतर तक हैं तोड़ जाते
और उनकों ही भीतर तक है तोड़ जाते

रूचिका धानुका 
स्वरचित रचना

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