कवयित्री नीलम डिमरी जी द्वारा 'माता रानी' विषय पर रचना

सादर नमन मंच

दिनांक--२०/१०/२०२०
दिवस-- मंगलवार
बदलाव अंतरराष्ट्रीय- रा.
सप्ताहिक प्रतियोगिता

शीर्षक--**माता रानी का भोजन**
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आदिशक्ति दुर्गा के रूप,
नौ रूपों में पूजन होता।
नवदुर्गा का समावेश तो,
आश्विन मास में संपन्न होता।

भोग माता को मैं क्या चढ़ाऊं,
मां शैलपुत्री को घी से नहलाऊं।
आरोग्य का आशीष दे मांँ,
गाय घी से पूजन कराऊं।

तपस्विनी मां ब्रह्मचारिणी,
शक्कर भोग तुझको भाए।
प्रसन्न रहती मांँ तू हरदम,
जो तुझको यह भोग लगाए।

चंद्रस्वरूप मांँ चंद्रघंटा,
दूध का पकवान तुझे चढ़ाऊं।
कुष्मांडा मैया की पूजा,
मालपुए से मैं कराऊं।

स्कंदमाता को केला भाए,
सभी सिद्धियां हम ही पायें।
कात्यायनी मैया की महिमा निराली,
शहद के भोग से आए खुशहाली।

कालरात्रि में मैया तुम,
बुरी शक्ति का नाश करो।
गुड़ के भोग से साधक को,
व्रत का फल प्रदान करो।

क्या भोग लगाओ मां तुझको,
ऐसे कल्याणकारी बनें।
असंभव को संभव करती मां,
नारियल तेरे आसन पर सजे।

    स्वरचित --नीलम डिमरी
    चमोली,,,, उत्तराखंड

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