कवि ऐन के सरस्वती (नरसी) जी द्वारा 'कोरोना' विषय पर रचना

कोरोना का कहर अभी भी

सुन जाने वाले मानष , बडी सतर्कता से निकलना ।
कोरोना का कहर चल रहा ,  कोई हल अभी तक ना निकला।।

लॉकडाउन के बाद प्रक्रिया , अनलॉक की चली  हैं।
सोशल डिस्टेंस का पालन कर , दूर से राम रमी हैं।।
अनलॉक प्रक्रिया में सतर्कता बरतनी हैं ।
ना कोई हाथ मिलाना है , नमस्ते की रीत चली है ।

काम काज सब को करना है ।
भीड़ नही करना है।
सेनेटाइज का इस्तेमाल ,
अब सदा तुम्हे करना है।।

खुद की लापरवाही खुद को भारी पड़ सकती है।
कोरोना की लपटें जलती तुमको लग सकती हैं।
सरस्वती तो देता संदेश सारे सुन लो देशवासियों ,
जितनी बरतो सतर्कता , वो भी कम पड़ सकती हैं।।

ऐन के सरस्वती (नरसी)
कोटपूतली , जयपुर (राजस्थान)

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