नमन मंच
नाश्ते की टेबल पर
होने लगी कुछ हसीन लम्हों की सैर
और चर्चाओं ने लिया एक टेबल घेर
बिखरे से है कुछ जज्बात
और सम्भले है कुछ हालात
एक "नाश्ते की टेबल पर"
बदला है अकेले होने का मन्जर
जमा है महफ़िल का समन्दर
परोसी है कुछ बातें और
कुछ ठहाके प्लेटों के साथ
कुछ चटपटी सी खुशियाँ है
कुछ तीखी सी अनबन है
तो तीखी अनबन सुलझाने के
कुछ तले भुने स्वाद है
नाश्ते की टेबल पर
कहीं बीता बचपन हैं
तो कही उम्र पचपन है
कहीं छोटी उम्र के नखरे हैं
तो किन्हीं बूढी आँखों ने
पोष्टिकता के मायने परखे हैं
इसी नाश्ते की टेबल पर
गरिमा विनित भाटिया
अमरावती ,महाराष्ट्र
garimaverma550@gmail.com
0 टिप्पणियाँ