कवि विशाल चतुर्वेदी उमेश जी द्वारा 'सियासत' विषय पर रचना

शीर्षक - सियासत 
 

सियासत ने हमको इतना मजबूर कर दिया । 
अपनों को अपनों से दूर कर दिया । 
कल तक जो एक दूसरे के आँखों  के नूर थे । 
उनको इन्सानियत से भी दूर कर दिया । 

अब सियासत में हर जगह खोट है।  
हम इन्सान नही सिर्फ वोट है।  
अब तो सियायत सिर्फ सत्ता के लिए होती है । 
सत्ता के बाद तो सिर्फ नोट ही नोट है । 

समाज सेवा से नेता को क्या करना । 
बटवारे के दर्द को इनको क्या सहना । 
शाम दाम दंड भेद,  जैसे भी हो। 
सिर्फ इन्हें  सत्ता में ही रहना । 

सर्वमौलिक अधिकार सुरक्षित 
विशाल चतुर्वेदी " उमेश "

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ