बदलाव मंच' राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समीक्षक आ.भास्कर सिंह माणिक कोंच जी एवं आ.डॉ.रेखा मण्डलोई 'गंगा' जी द्वारा 'बदलाव मंच' वेबपोर्टल पर टॉप छः रचनाओं की समीक्षा-*

*बदलाव मंच' राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समीक्षक आ.भास्कर सिंह माणिक कोंच जी एवं आ.डॉ.रेखा मण्डलोई 'गंगा' जी द्वारा 'बदलाव मंच' वेबपोर्टल पर टॉप छः रचनाओं की समीक्षा-*

1. *आ.डॉ.रेखा मंडलोई 'गंगा' जी द्वारा प्रस्तुत समीक्षा*-

*(1)कवयित्री श्वेता कुमारी जी* द्वारा रचित ' हे मुरली मनोहर ' नामक रचना मुरली  मनोहर से सुंदर गुहार लगाने के भाव से परिपूर्ण है। यह समसामयिक रचना वर्तमान समय की मांग के अनूकूल है कि हम अपना विश्वास एकनिष्ठ मुरली मनोहर के चरण कमलों में समर्पित कर उनसे  असीम शक्ति की प्रार्थना करें जिससे हमारे समस्त दुखों का नाश हो जाए।
समीक्षक दृष्टि से अवलोकन करने पर व्याकरण सम्मत दोष को अगर नजरअंदाज कर दिया जाय तो रचना अपने आप में संदेश परक है। रचनाकार को हार्दिक बधाई।
*'बदलाव मंच' समीक्षक डॉ. रेखा मंडलोई इंदौर*

*(2)*कवि बाबू सिंह जी* द्वारा रचित कविता ' कहीं धूप कहीं छांव ' में रचनाकार ने सम्पूर्ण सृष्टि के सार तत्व को स्पस्ट करते हुए बताया है कि सुख और दुःख जीवन के अनिवार्य अंग हैं। मनुष्य को अपने कर्म के अनुरूप सुख और दुःख की प्राप्ति जीवन में होती है। इस कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य को सतत सदकर्म करने की प्रेरणा दी है। कविता में चोरी, हिंसा, झूठ, निंदा जैसी अनेक बुराइयों से अपने आप को दूर रखने की प्रेरणा दी है। मनुष्य को पाप से दूर रह कर सद्गुणों से परिपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा से परिपूर्ण रचना के लिए कवि को हार्दिक बधाइयां।
समीक्षक की दृष्टि से रचना में व्याकरण सम्मत अशुद्धियों की झलक कहीं - कहीं पर पाई गई, जिसे अगर दूर कर दिया जाता तो रचना सर्वोत्कृष्ट कोटि में शामिल हो सकती थी।
*डॉ. रेखा मंडलोई ' गंगा ' इंदौर*

*(3)कवयित्री मीनू मीना सिन्हा जी* मीनल विज्ञ द्वारा रचित कविता ' देखा न करो ' में रात्रि काल के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है। इस रचना में एक प्रेमी युगल के मन की छटपटाहट को, जो एक दूसरे से मिलने के लिए होती है उसे नायाब तरीके से प्रस्तुत किया है। प्रकृति का मानवीकरण करके यहां मानव मन में उठने वाले भावों को चित्रित करते हुए बताया है कि किस तरह रात के समय प्रकृति में चारों ओर मंद पवन प्रवाहित हो रही है, जिसमें रातरानी, रजनीगंधा, अमलतास, ओर मोगरे जैसे सुगंधित फूलों की खुशबू सम्पूर्ण वातावरण को मनमोहक बना रही है। चांद नामक प्रियतम के लिए रात्रि रूपी प्रियतमा के भाव प्रस्तुत करने के नायाब तरीके के लिए कवयित्री बधाई की पात्र है।
*'बदलाव मंच' समीक्षक डॉ. रेखा मंडलोई 'गंगा'*

*2.आ.भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा प्रस्तुत समीक्षा-*

*(1)*आ.लेफ्टिनेंट पुष्कर शुक्ला जी* आपकी गजल पर बहुत ही प्रेरक  है । गजल का हर शेर अपनी अलग खुशबू खेलता है नज्म की तरह सजी हुई गजल बहुत ही अच्छा संदेश दे रही है। आपने गजल के नियम बखूबी अपनाएं हैं। प्रदीप काफी अपने स्थान पर पूर्ण रूप से गजल की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं गजल गजल का मान कर रही है।
"तेरे दीदार को तरसती रही निगाहें मेरी,भटकता रहा हूंँ, द्वार-द्वार तुम्हारी याद में।"
यह शेर लौकिक और पारलौकिक
दोनों बातें एक साथ कर रहा है यही गजल की खूबसूरती होती है। गजल कभी हरम में पली, कभी कोठे की रौनक रही, कभी सड़कों पर डोली है, आज आमजन की भूख पर गजल बोली है। मैं आपकी कलम को नमन करता हूंँ।
*'तुम्हारी याद में'*
एक रूह ही बची थी मेरे पास तेरे बगैर
वाह क्या खूब कहा , मिलने की चाहत महबूबा से या खुदा से कितने प्रबल होती है इसका अंदाजा लगाना बड़ा मुश्किल होता है। आपकी भी गजल बहुत ही श्रेष्ठ गजल के सारे मानक पूरा करती हैं। गजल का प्रत्येक से अपना अलग रंग बरसा रहा है।
कभी गजल मेहबूब के लिए कही जाती थी। गजल श्रृंगार से भरपूर हुआ करती थी।गजल में महबूबा मेहबूब के मिलन के बहुत चित्रण मिलते हैं। लेकिन आज गजल ने जन पीड़ा को अपने हृदय में समेटा टट्टी होने वाली घटना पर गजल कही जाने लगी या यूं कहें गजल ने भी अपना नया रूप धारण किया। आपने बहुत ही उम्दा मिसरे लिखें है। मैं आपको नमन करता हूंँ।
*'बदलाव मंच' समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच*

*(2)कवि नारायण प्रसाद साहू जी* ने जीवन की नियमावली अपनी कलम से लिखकर प्रेरक संदेश दिया है। विश्वास, निष्ठा, कर्तव्य ,लगन, शीलता ,मृदुलता, परमार्थ आदि समाज के लिए और स्वयं के लिए हर समय सार्थक होते हैं। निसंदेह आपका संदेश जनजागृति करता है मैं आपका अभिनंदन करता हूंँ।
*'बदलाव मंच' समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच*

*(3)कवयित्री स्मिता पाल जी* ने बहुत ही मार्मिक जीवन दर्शनीय कविता लिखी। आपने अपनी कविता में रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ने का अच्छा संदेश दिया है। समाज की विकृतियों का आपकी रचना में स्पष्ट चित्रण दिखाई देता है । बौनी मानसिकता वाले लोगों पर  आपकी रचना अच्छा तंज है।
छल का प्रयोग कभी न करना, रचना में संदेश भी आपने दिया छल ,कपट ,द्वेष हमेशा नकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। हम सब को सकारात्मक जीवन जीना है। हम अपनी राह बनाएं किसी की राह की बाधा न बनें। मैं मैं आपका अभिवादन करता हूंँ।

*बदलाव मंच' समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच*
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*'दीपक क्रांति'*
*संस्थापक व मार्गदर्शक*
*-राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच'*

*रूपा व्यास*
*अध्यक्षा,राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच' एवं समस्त 'बदलाव मंच' कुटुंब*
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