प्रतियोगिता हेतु सादर प्रेषित
दिनांक- 26/10 /2020
दिन- सोमवार
विधा- कविता
विषय -सतर्क भारत समृद्ध भारत
शीर्षक- मानवता अभी बाकी है
मानवता अभी बाकी है
चाहे
जैव हथियार चले कितने ही बदरंग
किंतु
मानवता अभी भी बाकी है.....
प्रकृति सामूहिक विनाश
चाहे
नोच लो उसका हर रंग
किंतु
मानवता अभी भी बाकी है....
कुछ भी स्थाई नहीं सर्वज्ञ
चाहे
विकसित हो आधुनिक दुर्भाग्य
किंतु
मानवता अभी भी बाकी है.....
जन्म स्थान मृत्यु अपरिहार्य
चाहे हो
सभ्यता की अति मानवीयता निरंतर सक्रिय
किंतु
मानवता अभी भी बाकी है.....
अपने कु कर्मों को सुधार अकिंचन
करो
माफी मनन भूल आत्म चिंतन
सही मायनो में
मानवता अभी भी बाकी है.....
कराह आह आत्म निष्ठुरता को छोड़
ऊर्जा सद्भाव जीवंतता की सघनता
में
मानवता अभी भी बाकी है.....
खुशी के मुखोटे और जीवन की निराशा
मन में बाढ़ आत्मा मवेशी सी हताशा
नीरवता में
मानवता अभी भी बाकी है......
न प्रार्थना ना शोक बस गंभीर यथार्थवाद
धारणा सीखना तूलिका की सीमा
कल्पना ने
रू-ब-रू करवाया सही मायनों में
यथार्थ से जीवन से
विश्वास है
मानवता अभी भी बाकी है......
मैं नन्दिता रवि चौहान
अजमेर राजस्थान से यह
प्रमाणित करती हूंँ कि यह मेरी स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना है।
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