कवि बाबूराम सिंह जी द्वारा 'तुम्हारी जय हो' विषय पर रचना

नमन मंच 
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     बदलाव मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता
नवरात्री    विशेष    पर
दिनांक-22/10/2020
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    तुम्हारी जय हो 
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करुणा कर कौमारी माता कलिका  कारी तुम्हारी जय हो ।
खरल खड़ग खट हाथ में हरदम हे खलखारी तुम्हारी जय हो ।

गोमती गंगा गोदावरी गौरी गदाधारी तुम्हारी जय हो ।
घर-घर की माता घट-घट वासिनी घंटाघारी तुम्हारी जय हो ।
छुप छुप छाया देती क्षण क्षण क्षेमकरी हितकारी तुम्हारी जय हो 
चंचल चतुर चण्डिका देवी चार्किणी चारी तुम्हारी जम हो ।
जयति जानकी जनकनंदिनी जय सुखकारी तुम्हारी जय हो ।
करुणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो ।

झन-झन झनकार दो झट हे माँ सब झंझटझारी तुम्हारी जय हो।
टेर -टेर टर टार दियो जग संकट टारी तुम्हारी जय हो ।
ठाव-ठाव सठ ठरका मारी ठग नित ठारी तुम्हारी जय हो ।
डोली डगर-डगर डर हर के बुध्दि गुण डारी तुम्हारी जय हो ।
ढो़गी ढा़ढस ढ़व ढुढ़ थके हे बाघ सवारी तुम्हारी जय हो ।
करुणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो ।

तपस्या तीर तान-तान माँ दुष्टों को तारी तुम्हारी जय हो ।
थल -जल थाह-थाह कर थइया    थई-थई ब्रजनारी तुम्हारी जय हो।
दुष्ट कंस दुख दिया देवकी को दुख दूर टारी तुम्हारी जय हो।
धर्म धारिणी माँ धवलमनि करु कर धनुधारी तुम्हारी जय हो ।
नये-नये नित भेष निहारुं त्रिनेत्रा न्यारी तुम्हारी जय हो ।
करुणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो ।

पापहर परमेश्वरी पावन पर पीडा़ हरी तुम्हारी जय हो ।
फरी फेर-फेर चौतरफा दुष्टों का फन फारी तुम्हारी जय हो ।
वंदन बारम्बार वरदायिनी ब्राही ब्राह्माणी तुम्हारी जय हो ।
देहु भव्य भवानी भक्ति भाव "बाबूराम"भयहारी तुम्हारी जय हो।
भूल -चुक हुक कर टुक-टुक भव भंजन हारी तुम्हारी जय हो।
करुणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो ।

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम-बंड़का खुटहाँ ,पोस्ट-विजयीपुर(भरपुरवा)जिला-गोपालगंज (बिहार )
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