कवयित्री चंचल हरेंद्र वशिष्ट द्वारा 'सजना है सजना के लिए' विषय पर रचना

बदलाव मंच
04/11/2020
विषय: करवाचौथ,मेंहदी,पतिदेव
शीर्षक: 'सजना है सजना के लिए '
करवाचौथ का चाँद गगन में आकर फिर मुस्काया है
सजना है सजना के लिए,ये सोच के मन हर्षाया है। 

आज सजालूं माँग साजना तेरे प्रेम की लाली से,
तेरे नाम की लाली का कुमकुम मस्तक पे सजाया है।

लाज से लाल कपोलों पर है तेरे प्रेम की ही रंगत,
अपने अधरों पर तेरे अधरों का प्यार सजाया है।

मेंहदी से रची हथेलियों में है तेरे प्यार की है सुर्खी, 
कंगन,चूड़ियों की खनक ने प्यार का राग बजाया है।

तेरे नाम की लाली का रंग लेके लाल चुनरिया ने,
बना के तेरी दुल्हन मुझको घूँघट में छुपाया है।

नज़र लगे न चाँद से मुख को,चाँद बलैयां लेेे मेरी
चाँद मेरा, चाँदनी को बाँहों में भर इठलाया है।

पतिदेव के हाथों से जल पीकर खोलूँ व्रत अपना
सदा सुहागन रहने का आशीष सास ससुर से पाया है।

'चंचल' है हर्षित सजाके,साजन तेरे नाम की लाली 
तेरे नाम की लाली ने प्रियतम जीवन मेरा महकाया है।
दिनांक:- 
04:️11:️2020

स्वरचित एवं मौलिक:
चंचल हरेन्द्र वशिष्ट,हिन्दी प्राध्यापिका
नई दिल्ली

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