माटी का दिया क्या कहता#डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा#

सादर समीक्षार्थ
 विषय- माटी का दिया क्या कहता 
विधा  -   कविता

माटी का दिया, क्या कहता है
बात तो बड़े, पते की कहता है 
खुद जल रहा हूँ, मैं प्रतिपल यूँ
तब तम तुम्हारा दूर करता हूँ..।।

माटी का दिया क्या,कहता है
कहता निज मन तम, दूर हटाओ
हृदय ज्ञान, प्रकाश जलाओ
सबकी पथ बाधा, तुम हर जाओ..।।

माटी का दिया, क्या कहता है 
उसके दिल की,बात भी तो सुनो
और उसकी बात पर,मनन करो
फिर कुछ करने का संकल्प करो..।।

 माटी का दिया क्या कहता है
 निज स्वार्थ सभी मैं तजता हूँ
 परहित सदा सोचा करता हूँ
 सबको समान मैं समझता हूँ..।।

 माटी का दिया क्या कहता है
 कभी उसकी भी बात सुनो ..।।
 

डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल 
उत्तराखंड

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ