आत्म निर्भर भारत की उड़ान
विज्ञान एवं तकनीकी में योगदान।
एक दिवसीय प्रतियोगिता
दिनांक ०८/१२/२०२०
बदलाव मंच
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आत्मनिर्भरता स्वाबलंबन से उपर की सीढ़ी है।
आत्म निर्भर भारत की बात सर्वप्रथम 1905 में शुरू हुई।
तत्पश्चात 1970 में स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने आत्म निर्भर भारत हेतु स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर बल दिया।
2020 से भारत सरकार ने विधिवत् आत्म निर्भर भारत की सोच पर काम करना शुरू किया,
*आत्म निर्भर भारत की उड़ान*
*विज्ञान एवं तकनीकी में योगदान*
की बात करें तो यह दृढ़ संकल्प और जुनून का परिणाम है कि भविष्य में भारत आत्म निर्भरता की दृष्टि से किसी का मुंह नहीं ताकेगा। चीन जैसे व्यापारिक उपनिवेशीय सोच रखने वाले सशक्त राष्ट्र को आईना दिखा पाना आत्म निर्भरता की गति का नतीजा ही है।
युवा ऊर्जा का जिस राष्ट्र ने सही उपयोग किया वह विश्व में कीर्तिमान स्थापित कर पाया है।
शिक्षा , उद्योग धंधे निर्यात , कम्युनिकेशन, सेटेलाइट ,सड़क निर्माण, तीव्रगामी रेल , पुल निर्माण , आयुद्ध ,मिसाईल ,चंद्र यान, डिजिटाईजेशन, ऑनलाईन स्टडी आदि वैज्ञानिक क्षेत्रों में आत्म निर्भरता आई है और आती दिखाई दे रही है, जो भारत को एक नई उड़ान देने के लिए विद्युत की गति से आगे बढ़ रही है।
आज इस संकट काल में भारत ने अन्य राष्ट्रों की सहायता करके आत्म निर्भरता का परिचय भी दिया है,और अपना मान भी बढ़ाया है,।
वैक्सीन निर्माण में भी हम पीछे नहीं हैं बल्कि औरों को निर्यात करके मुद्रा स्फूर्ति बढ़ाने की स्तिथि में हैं।
मोबाईल और सॉफ्टवेयर अंतरिक्ष यान के पार्ट्स, राफेल जैसे तेज युद्धक हम स्वयं बनाने की स्तिथि में खड़े है, जाहिर है हमारी वैज्ञानिक क्षमतायें हमारे इंजीनियर डॉक्टर्स बाहर का रुख नहीं करेंगे।
नई शिक्षा नीति तथा आयुर्वेद को बढ़ावा देना तथा मेडिकल पद्धति को सर्जरी का अधिकार देना , आत्म निर्भरता की और बढ़ाया गया एक और कदम है।
आज हम सेटेलाइट , खाद्य उत्पादन , रिसर्च , योजनाओं में आम आदमी को आत्म निर्भर बनाने का प्रयास किया जाए तो निश्चित ही स्वदेशी चीजों को अपनाया जायेगा ,तथा भारत आत्म निर्भरता में सबसे आगे रेल के इंजन के समान दौड़ रहा होगा।
जय हिन्द
मौलिक
एल. एस.तोमर
प्रवक्ता तीर्थांकर महावीर विश्व विद्यालय मुरादाबाद यूपी
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