बाबूराम सिंह कवि जी द्वारा खूबसूरत रचना#

रा० अंतर० बदलाव  मंच- 
साप्ताहिक    प्रतियोगिता
दिनांक  १८  दिसम्बर  से-
२३ दिसम्बर  २०२० तक
प्रेषण ता०-२२, मंगलवार
=====विषय=======
आत्म     निर्भर     भारत
शिक्षा  क्षेत्र   में  योगदान
===विधा==कविता===
यह   भारत   वर्ष   हमारा
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मनभावन सावनसा स्नेहिल सकल विश्वसे न्यारा।
सोन  चिरईया  विश्वगुरु  यह भारत  वर्ष  हमारा।

शिक्षा  क्षेत्र  में भारत  अपना परचम  लहराया।
स्वर्णअक्षरों में अनुप निज इतिहास लिखवाया।
शिक्षा सार  धार जगत में विश्वगुरु पदवी पाया।
आलोक अद्भुत जगत  में  शिक्षा का  फैलाया।

तम गम टार शिक्षा  से  फैलाया जग उजियारा।
सोन चिरईया  शिश्वगुरु  यह भारत वर्ष हमारा।

ललित ललाम धाम देवों का सुखद शुभ सलोना।
स्वर्गसेभी बढ़कर है भारत वर्ष का कोना- कोना।
परम पुनीत भारत  वर्ष  की  मिट्टी भी  है  सोना।
अतः राष्टृरक्षा बिन मानव व्यर्थ है नर तन खोना।

शुभ सदगुण सदभाव विश्वमें भारत ही है पसारा।
सोन चिरईया  विश्वगुरु  यह  भारत  वर्ष  हमारा।

वेद-शास्त्र,सु-गीता,रामायण यहाँ सशक्त सबलहै।
सत्य, अहिंसा ,तप ,त्याग, संतोष सुचि  अचल  है।
सर्व प्रगति मानव उत्थान की सर्वोतमशुभ हल है।
वेद संस्कृति आर्यावर्त की अनुपम  श्रेष्ट विमल है। 

सम्पूर्ण विश्व वसुन्धरा पर भारत है स्वर्ग सितारा।
सोन  चिरईया  विश्वगुरु  यह भारत वर्ष  हमारा।

सेवक,संत,ऋषि भारत में अदभुत अति महानहुए।
सत्यशिरोमणीदानी ज्ञानी कवि लेखकविव्दानहुए।
देशभक्त  सत्कर्मी  धर्मी  प्रभु मार्गी  गुणवान  हुए।
अनमोल  उत्तम से उत्तम  नरपुंगव  अगुआन हुए।

करुणादयाआस्तिक्यक्षमाहेतु निजसर्वस्यहै हारा।
सोन  चिरईया  विश्वगुरु  यह भारत  वर्ष   हमारा।

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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज(बिहार)
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मै बाबूराम सिंह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है।
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