कुछ सवाल है मेरे
कु - कुशाग्र बुद्धि मेरी
कर रही मुझसे
स्वयं ही बात
क्या तुम्हें मिल गए
तुम्हारे मन के
सारे सवालों का जवाब
छ - छत दिल की उखड गई
प्लास्टर कैसे करु इसका
इसका नहीं मिल रहा कोई जवाब
स - संकलन कर रहा
मैं प्रश्नों का
दिल ही दिल में
प्रश्नों का लग गया अंबार
आ गया मैं मुश्किल में
वा - वादे किए थे
स्वयं से ही अगिनीत
कैसे बताऊं दुनिया को
मेहनत करने के बाद भी
खुली नहीं मेरी किस्मत
ल - लक्ष्य निर्धारित
करके चला में
जीवन के कर्म पथ पर
मन में उठता एक ही सवाल
मानो या ना मानो
यह तो है भाग्य का असर
है - हैरत में नही मैं
समझ गया मैं
यह समय की चाल
कोई नहीं धरा पर ऐसा
जिसे मिल गया हो
सारे मन के सवालों का जवाब
मे - मेहनतकश इंसान
चाहे कितने भी
कर ले तर्क वितर्क
कई सवालों के साथ
जीता वह जीवन भर
रे - रेत जब भी लेते
हम मुठ्ठी में
थोड़ी बहुत गिरती
हमारे हाथों से
उसी तरह जिंदगी के
कुछ सवाल
फिसलते ही रहते
इस संघर्षमय जीवन में
सतीश लाखोटिया
नागपुर, महाराष्ट्र
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