विपिन विश्वकर्मा जी द्वारा अद्वितीय रचना#2020 की कहानी#

2020 की कहानी
आज रात मेरे सपने में 2020 जी आये और चर्चा में वो यूँ कहने लगे ।



इस जमाने के तो सौ -सौ फ़साने निकले ।
लोग गम में भी खुशी को मनाने निकले ।
सारी उम्र तेरे सुख -दुख में लगा दी मैने ,
फिर भी,
मेरी मैय्यत पे न 2 फूल तक चढ़ाने निकले ।।



हर सह पर आपकी मैं सजदे करता रहा ।
आप सुख तलासते रहे , और मैं मरता रहा ।।
प्रीति की रीति क्या खूब निभाने निकले ,
मेरी मैय्यत पे न 2 फूल तक चढ़ाने निकले ।।



दण्डधर मेरे सर पर खड़ा, मुझे ले जाने के लिये ।
मेरे अपने ही गये हैं पिज्जा, होटल बुक कराने के लिये ।
यहां इंतकाल की आवाज, वहाँ खुशी के तराने निकले ।
मेरी मैय्यत पे न 2 फूल तक चढ़ाने निकले ।।



हाल-ए-दिल अपनों से कहा, गैर होता कोई तो कहते ।
21 के जन्मदिन की बधाई तो दे जाते गर कोई पास होता, 
मरते - मरते कम से कम इतना तो करते ।
मरने के बाद पूछा तो नयी साल पर ज़श्न के बहाने निकले ।
मेरी मैय्यत पे न 2 फूल तक चढ़ाने निकले ।।


मैंने पूछा:-

आपके जनाज़े को न कफन नसीब हुआ होगा ।
आपकी मैय्यत के पीछे- पीछे कौन गया होगा ।।

2020ने प्यारा सा जवाब दिया और कहा

-विपिन विश्वकर्मा

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