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1..प्रेम था कभी दिल मे
अब नफरत समाई है
प्रेम से सिर्फ़ फ़रेब है
जो मुझे रास ना आई है।।
नफरत दिलों से मिटा
2..प्रेम का दिल जलाओ
भाईचारे की भावना ला दिलों मे
जरा देश के लिये एक अलख़ जगा लो।।
3..प्रेम और नफरत हैं वितरित
प्रेम इंसानों को बांधे रखता
नफरत मे सिर्फ़ इंसान है जलता।।
वीना आडवानी
नागपुर, महाराष्ट्र
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