ग़ज़ल!
(अदीक्षा देवांगन"अदी)
बहरे-मुतदारीक मसम्मन सालिम,
फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फाइलुन,
काफ़िया-आ!,रदीफ़-चाहिए
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ज़िंदगी के लिए और क्या चाहिए,
बस हमें आपकी ही दुआ चाहिए!
एकता हो जहाँ में भरोसा करो,
राम भी चाहिए फिर खुदा चाहिए!
ये जमीं बाँट ली बाँट लो आसमां,
फिर हवा बाँट लो ग़र हवा चहिए!
हिंद की सरजमीं है सभी के लिए,
फूल को इक सही बागबां चाहिए!
गीत हो गान हो साज़ हो मौशिक़ी,
ज़िंदगी को खुशी की दवा चाहिए!
आखरी साँस में राम का नाम हो,
ग़र जिसे ज़न्नतों का पता चाहिए!
खोज लो साथ में जो हमेशा रहे,
दिल्लगी के लिए दिलरुबा चाहिए!
जो मुसाफिर चले मंज़िलों केलिए,
हो कहीं भी उसे आशियां चाहिए!
हो पराया जिसे जानता कौन है,
आपको तो"अदी"से अदा चाहीए!
अदीक्षा देवांगन"अदि"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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