चलो छोड़ो जाने दो#अम्बिका झा जी द्वारा खूबसूरत कविता#

चलो छोड़ो जाने भी दो अब
कब तक इल्जाम देते रहोगे दूसरे को।

अपनी नाकामी का 
किसी ओर को
कारण बताते रहोगे।

सफलता जिंदगी में हुई नहीं।
या कोशिश पूरी की नहीं।

ढूंढ लो अपने अंदर 
कहीं तुम में ही तो कोई कमी नहीं।

मुश्किल तुम्हारी राहों में थी।
या कांटों के डर से तुमने कदम बढ़ाया ही नहीं।

तुम्हारे अपने तुम्हारे हुए नहीं ,
या तुमने किसी को अपनाया ही नहीं।

हमेशा हार से ही सामना हुआ
या तुमने अपने अंदर के विश्वास को 
जगाया ही नहीं।  
       अम्बिका झा

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