उमेश बुडाना जी द्वारा खूबसूरत रचना#भारत माता लहूलुहान।#

सब जानें क्या दूँ परमान,भारत माता लहूलुहान।

लाठी पत्थर लेकर युवक,खून के प्यासे क्यों लगते?
मजहब की ले कर हाथ पताका,हिंसक नारे क्यों लगते?
क्यों ना बुझती आग कभी,क्यों ना पटती खाई,
एक-दूजे की जान उतारू,क्यों सहोदर भाई।
हँसती खिलती बगिया भी,क्यूँ,बनी कब्र-शमशान।
भारत माता लहूलुहान।

जहाँ भी देखें वहाँ देश में,दंगों का समाचार सुनें,
दोषी तो छिप जाते जाकर,बेबश की चित्कार सुनें।
आम आदमी पिसते देखे,आज धर्म की चाकी में,
अपना मजहब श्रेष्ठ बनाने,आग लगाओ बाकी में।
आप बताओ कैसे गाएं,मेरा भारत देश महान।
भारत माता लहूलुहान।

क्या दूजे को नीच बताकर,ऊंचा होगा भाल तेरा,
चिराग बुझा किसी द्वार का,उज्ज्वल होगा काल तेरा?
महान देश की महान विरासत,पल में चकनाचूर किया,
गंगा-जमुनी रीत पुरानी,रहमान-राम को दूर किया।
अल्ला के संग रोते होंगे,श्रीराम हनुमान।
भारत माता लहूलुहान।

अब कौन करेगा सेवा सुश्रुषा,भारत माता घायल की?
क्या फिर से सुन पाएंगे,यहाँ छनक उस पायल की?
तीन रंग की फटी चुनरिया,फिर से क्या बुन पाएँगे?
मरणासन्न पर पसरी माँ से,गीत मधुर सुन पाएँगे?
हम सबके कंधे यह जिम्मा,हो हिन्दू या मुसलमान।
भारत माता लहूलुहान।भारत माता लहुलुहान।
                                    उमेश बुडाना
                                   झुंझुनू(राज.)

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