पिता हमारे मार्गदर्शक।
शायद पिता के बातों को
यू बयां नही कर सकता।
पिता कोई भी हो किन्तु पुत्र के
लिए मेहनत से नही डर सकता।
पिता अनपढ़ भले ही हो किन्तु
बच्चे को अपने पढ़ाना चाहें।
जो वह शायद नही बन पाया
अपने बच्चे को वह बनाना चाहे।
कड़ी धूप की दोपहरी हो या
फिर भरे हुए निम की छाव।
यदि दुनिया चमकधमक शहर है की
तो पिता निर्मल जैसे अपना गाँव।
एक पिता के होते हुए
बेटा गरीब नही हो सकता।
माँ भले ही धरती हो किन्तु
पिता से बढ़कर कोई हो नही सकता।
पिता उम्र भर कंधे पर बिठाता
बदले में वह कुछ नही चाहता है।
बेटा अपने पिता की कीमत तो
पिता बनने पर ही समझ पाता है।
माता की गोद प्यारी है यदि तो
पिता का कंधा भी प्यारा समझो।
जो पिता है तो जीवन स्वर्ग मानो
यह वास्तविक ध्येय हमारा शमझो।
जिस हाथ से पालन पोषण किया
उस हाथ को न तुम फैलाने देना।
माता पिता से रौनक है घर की
बूढ़े होने पर वृद्धाश्रम न भेज देना।
प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'
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