बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय - मुक्त
विधा- काव्यात्मक कहानी
दिनांक -२४-६-२०२०
दिन- बुधवार
शीर्षक : खिलौने
(पद्य भाग)
रफ़्तार में था वह
पर अचानक गाड़ी रोकी
लगता था उस जगह से
उसका कोई संबंध है बाकी
उतारकर चश्मा देखा चारों ओर
तभी नजर पड़ी दुकान के बायीं ओर
बरसों बाद लौटा अपने शहर से अनजान सा
दुकान पर आज फिर दिखा कोई बूढ़ा बीमार सा
कुछ आंखें नम हुईं
कुछ यादें ताज़ा हुईं
बरसों पहले की कहानी
आंखों में फिर घूम गई
एक दिन पापा की पकड़ उंगली इस दुकान तक ले आया था
एक खिलौने के लिए मैं कितना गिड़गिड़ाया था।
चार पहिए वाली गाड़ी, मुझे थी बहुत पसंद
पर पापा की बेबसी कहां समझ
पाया था
पापा जेब में हाथ
डालते, निकालते ,सिर को सहलाते
उन भावों को मैं तब
कहां पढ़ पाया था ?
बच्चेऔर खिलौने का
अटूट नाता है
पर गरीबी ही गरीबों
का खिलौना है।
दो टाॅफी देकर पापा ने
चुप कराया था
पर पापा के बहते आंसुओं को
मैं नहीं देख पाया था
लगकर उनके सीने से बहुत रोया था
सोचा था उस दिन अपने मन ही मन
यदि कुछ बन पाया तो खिलौनों को नहीं तरसेगा कोई बचपन
फिर उसने दुकान को
बड़े गौर से देखा
होगी कितनी कीमत इसकी
मन ही मन में परखा
आंखों की कोरों के पोंछ आंसू
वह गाड़ी से उतर गया
बिना मोल - भाव दुकान के
सारे खिलौने खरीद लिया
इस बार पापा का जन्मदिन
अलग ढंग से मनाएंगे
ये सारे खिलौने उनके हाथों
बस्ती में बटवाएंगे
नाम - डॉ. अनीता तिवारी (सहायक प्राध्यापक)
नारियलखेड़ा भोपाल, मध्यप्रदेश
ईमेल - anitatiwari997@gmail.com
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