सावन में लगी है आग

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय -सावन में लगी है आग
विधा -वंयग्य कविता
दिनांक- 16/6/2020 
दिन -मंगलवार
शीर्षक -सावन में लगी है आग

सावन अर्थात प्रेम की फुहार
अभी तो चारो ओर हाहाकार
कही किसी की शादी टूटी
कही किसी की शहनाई गूँजी।
कहीं बरती,कही वर-वधू, सराती।
मन की आशा छू हो गई।
कितनी जतन कर किये फेरे पार,
संग में थे बरती चार।
फेसिअल के पैसे बच गए,
बधू के मुँह "मास्क" से ढक गए।
जैसे-तैसे शादी हुई,
मास्क उठाउ की घूंघट हटाऊँ,
सेनेटाइजर, स्प्रे ही लगाऊ,
इसी बात में गुजरी रात,
सुबह से सिर्फ कपड़े को धोते,
नव दम्पत्ति और बाराती चार।
-सोनम कुमारी(झारखंड)

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