दीपक जी की क्रांति है यहाँ,
वर्षा जी की बूंदों का है शमां,
रुपा दीदी बात है जुदा जुदा,
दहिया जी ने लिखी है दास्ताँ,
सुनिल जी की मिश्री जुबां ,
शशिकांत जी की शशि की भंगिमा,
अंशु जी का प्रिय कारवां,
और भी हैं नाम यहाँ,
करते रहे रोशन गोष्ठी करती बयां,
गाए किसी ने गीत यहाँ,
कोई बन गई शायरां,
भ्रमरपुरिया का सादर नमन है मंच को,
अनूठी पहचान, अनोखी दास्ताँ.
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