रोज़गार




बदलाव मंच चित्रात्मक काव्य सृजन सह विडीयो काव्य
चित्र क्रमांक- १
शीर्षक- रोजगार
नाम - डॉ अलका पाण्डेय-मुम्बई
विषय - आजिविका

शीर्षक - रोजगार

मेहनतकश है हम नारियां
हम भारत देश की परियां !!

आजीविका चलाने के लियो मेहनत करते है ।
काम नही छोटा बडा हर काम की पूजा करते है !!

नारी की नारीत्व में परमेश्वर बसता है !
हो जाए हम एक तो दुनियां जीत सकते है !!

जिंदगी जीने के लिए रोटी कपड़ा और मकान ,चाहिए !
आजिविका चलाने के लिए रोजगार चाहिए !!

मां बेटी पत्नि बहन ,हजार चेहरे
की पहचान नारी !
नारी से रिश्ते पनपे , परिवार व कुटुम्ब की शान नारी !!

नई चेतना जगाने , दुनियां को ललकारने , हाथो में रोजगार का सामान ,
आज सरकार को ललकारा है हम को हमारी आजिविका जाहिए , जीने का सामान !!

एक हुए हम संगठित हुए हम आवाज बुलंद कर ली !
मेहनत से नहीं डरेंगे रोजगार पा कर रहेंगे !!

आज हमने मिलकर एक साथ नारा बुलंद किया।
जीने का अधिकार दो हमको हमारा रोजगार दो !!

नारी की शक्ति को ललकारना नही
रण चंडी बन जाए तो त्राही त्राही मच जाए ।।

मेहनतकाश हम नारी है ,खेतो में खुशियां बोते हैं !
देश को सोना देते है भूखे को रोटी देते है !!

कुदाली , फावड़ा , हंसिया , आरी , हमारा गहना है !
यही हमारी जायजात यही हमारी पहचान है !!

मेहनतकश है हम नारियां
हम भारत देश की परियां !!

डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई


मौलिक


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ