माँ की लोरियाँ


बदलाव मंच चित्रात्मक काव्य सृजन सह विडियो काव्य 
चित्र क्रमांक:- 05
शीर्षक:- माँ की लोरियाँ
नाम:- विनोद वर्मा दुर्गेश 


गोदी में लेकर बेटे को,  माँ गाए लोरियाँ।
पनघट से लौटती सुने, सब गीत गोरियाँ।। 

बेटा कहे माँ तू मुझे, वो चाँद तो ला दे, 
रिमझिम पड़े फुहार, ऐसा गीत तो गा दे,
माता कहे अब सांसों की टूटी हैं डोरियाँ,
पनघट से लौटती सुने, सब गीत गोरियाँ।

जिद पर अड़ा वो बेटा, माँ की बात ना माने,
पापा से कहूँगा मैं सारी बात, सारे फसाने,
फिर पपड़ी जाएंगी तुम्हारी सारी चोरियाँ
पनघट से लौटती सुने, सब गीत गोरियाँ।

माता दुलारे बेटे को, कभी माथा चूमती,
सीने से लगाकर उसे, आँगन में घूमती, 
लाकर खिलौना चाँद का बांध हैं डोरियाँ
पनघट से लौटती सुने, सब गीत गोरियाँ।


विनोद वर्मा 'दुर्गेश'
तोशाम, जिला भिवानी, 
हरियाणा

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