लघु कथाःअवसर वादी/
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ओह'-- क्या कहा डाक्टर ने चाचा ने चाची को आवाज देकर पूछा!
"नहीं ,!जी कुछ नहीं जरा सी परेशानी है बस कुछ दिन में ठीक हो जाऊंगी"
(चाचा को पता था चाची को कैंसर है पर उनके पास इलाज के पैसे नहीं थे)
दो तीन रिश्तेदारों से पैसे की व्यवस्था के लिए गए,पर किसी ने उनकी मदद नहीं की, फिर चाचा ने अपनी पुरानी गाडी कार को बेचने की सोची।
-सुनती हो" मै थोडा भाई से मिल कर आता हू"।
-"जी, "ठीक है ,जल्दी आइएगा"।
भाई "तेरी भाभी की तबियत ठीक नही है क्या कुछ मदद मिल सकती है"?
भाई चाय बनाने को कहने भीतर गए।
इतने में भीतर से आवाज आयी-" हम कहां से लाएंगे इतने रूपये?नहीं है,हमारे पास कह दिजिए,!!
भाई बाहर आकर कुछ कहने ही वाले थे तभी उन्होंने कहा -"मेरी कार जो पुरानी है पर अच्छी कंडीशन में उसे मै निकाल रहा हूं कोई खरीददार हो तो बताना।"
भाई की पत्नी अंदर से चाय लेकर आयी -" जी भाई साहब कोई दूसरा क्यों ?हम ही ले लेगें , बस आप कल घर कार छौड दिजिए तब तक ये रूपयों की व्यवस्था कर लेंगे।"
वे मायूस मन सेभाई कीतरफ देखा और चल पडे अपने घर की तरफ।रास्ते भर सोचते रहे ये वही भाई है जिसकी पढाई के लिए उसने अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए थे।
.....डाॕ गीता शर्मा
रायपुर छत्तीसगढ
1 टिप्पणियाँ
उत्तम और भावपूर्ण कहानी
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