प्रकृति का उपहार(कविता)- डी.ए.प्रकाश खाण्डे

प्रकृति की उपहार

प्रकृति ने मानव को दिया,
शोभित अनुपम उपहार |
जल थल और नभ जीवों से,
करें सुगम-कुशल व्यवहार ||

प्रकृति की देन है पानी ,
पवन,पर्वत और पठार |
प्राकृतिक और सांस्कृतिक,
पर्यावरण के दोनों प्रकार ||

जहां प्रकृति की बची धरोहर,
वह मूल्यवान कहलाता है |
खाद्य,खनिज और खेत जहां,
वह धनवान कहलाता है ||

वृक्षों की जहां पूजा होती,
शास्त्रों में वह संज्ञान है |
प्रकृति की संरक्षण करना,
शासन का प्रावधान है ||

पावन पीपल की छाया में,
मिला बुद्ध को ज्ञान |
चिपको आंदोलन' में नारी,
दी वृक्षों को जान ||

उष्ण-शीतलता भी देती है,
जो तापमान कहलाता है |
शशि-सूर्य;नवग्रह, तारागण,
वो आसमान कहलाता है ||

गंगा,गंडक,कोसी-घाघरा ,
सहज रूप में बहती है |
जल ,जंगल और जीव जहां ,
प्रकृति प्रफुल्लित रहती है ||

मैं डी.ए.प्रकाश खाण्डे , शासकीय  कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़,जिला-अनूपपुर मध्यप्रदेश घोषणा करता हूँ की प्रस्तुत रचना मेरी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना है |
मोबाइल 9111819182,

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