श्रद्धा सुमन अर्पित

गुलज़ार दहलवी साहब के ख़्वाब
अब गंगा,जमना तहज़ीब के नवाब


उनको समर्पित एक ग़ज़ल 

हम तो कुछ भी नहीं है उनके सामने🙏🏻🙏🏻

 गंगा जमना तहज़ीब की शान कहलाने वाले जनाब स्व. "गुलज़ार दहलवी" साहिब को उनके आकस्मिक निधन पर भावपूर्ण श्रदांजलि देते हुए 
     एक ग़जल उनके नाम

चाहता हैं क्या इंसा क्या चाहता रह जायेगा
जिंदगी बन के कोई एक हादसा रह जायेगा।

नाम से गुलज़ार दहलवी तो सिकन्दर हो गए
चाँद - सूरज सा चमककर दायरा रह जायेगा।

आँसुओ से आज दामन भी कई भीगे होंगे
आँख का पानी जमाना देखता रह जायेगा।

वो तो गज़लों में निशानी आज अपनी छोड़ गये
अपने अशरारो में शायर बोलता रह जायेगा।

काम जो भी अधूरे हो तुम "नीतू" पूरे कर लेना
क्या जमी,क्या आसमाँ बस फासला रह जायेगा।
********नीतू राठौर 
133,भारत नगर
भोपाल (म प्र)
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