पितृ दिवस पर पिता जी को समर्पित- डॉ. अलका पांडेय जी

पितृ दिवस पर
पिता जी को।समर्पित- अलका  


नन्ही सी मैं बच्ची थी 
बहुत बीमार रहती थी !!
घर अस्पताल एक कर डाला 
रात रात जागे खुद को बिमार कर डाला !!

पिता ने मुझको था सम्भाला
बहुत  प्यार से पाला था !!
हर ख्वाहिश पुरी करते 
मुझको नया जीवन दिया !!

मुझको रोज पढ़ाते थे 
डाक्टर बनाऊगा कहते थे !!
जीवन का हर ज्ञान सिखाया
कठिनाओं से लडना समझाया!!

वट वृक्ष जैसी छाव देते 
प्यार स्नेह से भरी ठाव देते !!
जीवन कैसे जीना सिखलाया।
बेटी का क्या धर्म बतलाया  !!

गीता  के उपदेश सुनाते 
रामायण का सार बताते !!
अच्छा क्या बुरा क्या बतलाया
मानवता का पाठ पढ़ाया !!

शिक्षा से बढ़कर कोई धन नहीं।
परिवार से बढकर कोई दौलत नही !!
अभिमान था आपको अपने बच्चों पर 
सब कुछ आप से पाया
जीवन सफल बनाया !!
नित वंदन करती हूं 
आपका अभिनंदन करती हूं !!
डा अलका पाण्डेय- मुम्बई

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