जीनगी भर फरत -फूलात रह

भोजपुरी कविता 
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जीनगी भर फरत -फूलात रह 

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जवन रुखा -सुखा मिले प्रेम से अमरीत जानी के खात रह। 
मुस्कात रहबढि़यात रह जिनगी भर, फलत -फूलात रह। 
कुछ करत रह कुछ धरत रह, 
दोसरा के खातीर मरत रह  ।
दीया बनि जा सच के खातिर, 
दिन -रात प्रेम से जरत रह। 
उजियार दिखा सब केहू के, निमन मग पर ले जात रह। 
मुस्कात रह बढियात रह, जिनगी भर फरत -फूलात रह। 

ज इसन करब ओइसन भरब, 
जो बाउर काम से ना ड़रब । 
तू कौनो घाट के ना होखब
तब तूहीं बताव का करब। 
दुसमन बनि जा बाउर खातिर निमन के खातिर नात  रह। 
बढियात रह मुस्कात रह जिनगी भर फरत -फूलात रह। 

आपन जिनगी जीयत बदल, 
नेकी  कर  नियत  बदल  ।
जीवन रुपी फटही लुगरी, 
सच सारी में सियत बदल। 
भगवान से भागी के ज इब कहाँ उनही में लटत -लोटात रह। 
मुस्कात रह बढियात रह जिनगी भर फरत -फूलात रह। 

आलस करि के कबो ब इठ मति, 
अपना अभिमान में अइंठ मति। 
कर्मे महान हवे  दुनिया में, 
बाबूराम बाउर में प इठ मति। 
अच्छा लिख -सीख  हरदम अच्छे में अटल अघात रह। 
मुस्कात रह बढियात रह जिनगी भर फरत -फूलात रह। 

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम-बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपाभलगंज (बिहार) 
पिन -841508
मो0नं09572105032
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