********************
जीनगी भर फरत -फूलात रह
************************
जवन रुखा -सुखा मिले प्रेम से अमरीत जानी के खात रह।
मुस्कात रहबढि़यात रह जिनगी भर, फलत -फूलात रह।
कुछ करत रह कुछ धरत रह,
दोसरा के खातीर मरत रह ।
दीया बनि जा सच के खातिर,
दिन -रात प्रेम से जरत रह।
उजियार दिखा सब केहू के, निमन मग पर ले जात रह।
मुस्कात रह बढियात रह, जिनगी भर फरत -फूलात रह।
ज इसन करब ओइसन भरब,
जो बाउर काम से ना ड़रब ।
तू कौनो घाट के ना होखब
तब तूहीं बताव का करब।
दुसमन बनि जा बाउर खातिर निमन के खातिर नात रह।
बढियात रह मुस्कात रह जिनगी भर फरत -फूलात रह।
आपन जिनगी जीयत बदल,
नेकी कर नियत बदल ।
जीवन रुपी फटही लुगरी,
सच सारी में सियत बदल।
भगवान से भागी के ज इब कहाँ उनही में लटत -लोटात रह।
मुस्कात रह बढियात रह जिनगी भर फरत -फूलात रह।
आलस करि के कबो ब इठ मति,
अपना अभिमान में अइंठ मति।
कर्मे महान हवे दुनिया में,
बाबूराम बाउर में प इठ मति।
अच्छा लिख -सीख हरदम अच्छे में अटल अघात रह।
मुस्कात रह बढियात रह जिनगी भर फरत -फूलात रह।
*************************
बाबूराम सिंह कवि
ग्राम-बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)
जिला -गोपाभलगंज (बिहार)
पिन -841508
मो0नं09572105032
===================
वेवसाइड पर छापे खातिर
0 टिप्पणियाँ