जल

जीवन "जल"जीने का सहारा।
आ गया अचानक कोरोना,
फिरते हम सब मारा-मारा।
सन्थाल परगना का पुराना नारा।
भरों डब्बा,पानी टंकी ही एक सहारा।
गर देवत्व ना होता तो,
पानी का कौन सहारा।
जल भी वहीं, कूप भी वहीं,
बस एक-ही हैं, जीने का सहारा।
मौसम का भी चक्र अनोखा।
ना हुआ सुखा बेचारा।
मौसम ने भी दे दिया साथ हमारा।
फिक्र छोड़ किल्लत पानी की,
हाथ धोता पूरा सन्थाल हमारा।
तभी स्वस्थ हैं, झारखंड हमारा।
बदलाव मंच चित्रात्मक काव्य सृजन सह विडियो काव्य चित्र क्रमांक:-2 शीर्षक:-जल नाम:-सोनम कुमारी विधा:-कविता राज्य-झारखंड

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