हाँ मैं औरत हूँ

*बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता 
चित्र क्रमांक:- 7
शीर्षक:- हाँ मैं औरत हूँ
नाम:- जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय "जीत"
विषय:- स्त्री

हाँ मैं औरत हूँ
वो जो औरों के लिए रत रहती हूँ
वो जो हर रिश्ते के लिए जीती हूँ
हाँ मैं औरत हूँ
वो जो बहन बनकर भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधती हूँ
वो जो माँ बनकर सारी बलाएँ लेती हूँ
हाँ मैं औरत हूँ
वो जो पत्नी बनकर पति के सुख-दुःख बाँटती हूँ
वो जो सबकुछ सहकर इस दुनिया को देखती हूँ
हाँ मैं औरत हूँ
वो जो असहय वेदना में जीकर संतान जन्मती हूँ
वो जो हर रिश्ते की आधार होकर अकेली हो जाती हूँ
हाँ मैं औरत हूँ

On Fri, 26 Jun 2020, 12:22 NYI DUNIYA KE AFSANE WITH JEET, <jitendrapandeyrock@gmail.com> wrote:
बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय - मुक्तक
विधा - काव्यात्मक कथा
दिनांक - २६ जून,२०२०
दिन - शुक्रवार
शीर्षक - नदी की आत्मकथा

इक कहानी पढ़िये ज़रा किसी की,
आंसू ला देती है आत्मकथा नदी की।
कूड़ा-करकट हवन-कुंड, पशु धुलाई व गंदगी
स्वार्थ में डूबे इंसानों को परवाह नहीं उसकी।।

व्यथित होती है आत्मा भी उसकी,
जब गंदे जल व रोगों से भरती है मटकी।
पीड़ा होती है उसे भी हर दिन,
जब इंसान ही करते सिर्फ़ अपने मन की।।
©® जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय "जीत" प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

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