जीवन गाथा बिरसा मुंडा की

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चित्र क्रमांक: 3
शीर्षक: जीवन गाथा बिरसा मुंडा की
नाम: डा0 उमेश सिंह, बैंगलोर, कर्नाटक
विषय: काव्यात्मक


आज कहानी कहता हूँ जीवन गाथा के साथ
माँ भारती के पुत्र बिरसा मुंडा के बलिदान की।
जन्म हुआ पंद्रह नवम्बर अठारह सौ पचहत्तर को
झारखंड में सुगना मुंडा और करमी हातू के घर।
बचपन की प्रारम्भिक शिक्षा पुरी हुई साल्गा गाँव में
उच्च शिक्षा चाईबासा के इंग्लिश मिडिल स्कूल से।
थे विचलित वह ब्रिटिश शासकों के अत्याचार से
किया नेतृत्व लोगों का अंग्रेजों से मुक्ति पाने को।
अठारह सौ चौरानवे में आया था अकाल भयंकर
बिरसा ने पूरे मनोयोग से की देशवाशियो की सेवा।
एक अक्टूबर अठारह सौ चौरानवे में किया विरोध
आन्दोलन किया अंग्रेजो से लगान माफी के लिये।
किया अंग्रेजो ने गिरफ़्तार अठारह सौ पंचानवे में
दो साल सजा के बिताये हजारीबाग कारागार में।
ठान मन में अकाल पीड़ितों की सहायता करने की
"धरती बाबा" के नाम से पुकार पूजा करते लोग।
अंग्रेजी अत्याचार के विरोध में किया युद्ध घनघोर
अगस्त में तीर कमानों से धावा किया खूँटी थाने पर।
अंग्रेज सरकार हैरान-परेशान हो भयभीत होती बिरसा से
अठारह सौ अठानवे में हारे अंग्रेज तांगा नदी के तीर पर।
तीन फरवरी उन्नीस सौ को चक्रधरपुर में किया गिरफ़्तार 
अंग्रेज सरकार न किया छल दिया धीमा जहर कारागार में।
नौ जून उन्नीस सौ को दुखी छोड़ हुए पंचतत्व में विलीन
करता हूँ नमन इस महाबलिदानी के शौर्य और देशभक्ति को।।

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