घायल बादल बदल गए !!




 घायल बादल बदल गए !
बदले रास्ते तुमने ,
हम भी बदल गए ।
तुम पहले से ही सम्भले ,
फिर भी फिसल गए ।।
उपहार देते हैं ,
तस्वीर खींच लेते हैं ।
हमारे सौंदर्य को ,
इस तरह सींच लेते हैं ।।
दाने चावल के देने ,
दो चार दल गए ।
दो चार जब हुए ,
चावल बदल गए ।।
वृक्ष भी अलग किये ,
धरा रोती रही ।
माँ भी अकेली रही ,
रूह भी सोती रही ।।
पिघले हो आज ,
काश बता दिया होता ।
बदले हो सदमे में हो ,
काश जता दिया होता ।।
ऋतुओं का आदर नहीं ,
आवेग में जल गए ।
जैसा किया वैसा मिले ,
घायल बादल बदल गए ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज "
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश )

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