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सुन री सखी सत्य निर्मल मन से मधुर मिलन का प्यार अनूठा।
दिल दरिया हो जाता पल में प्रियतम का दीदार अनूठा।
लगता है बालम बाहों में,
कंचन सा मिट्टी की काया।
उपर -नीचे आगे -पीछे,
है चहुंदिशि साजन का साया।
रोक नहीं सबकुछ करने का किये बलम अधिकारी अनूठा।
दिल दरिया हो जाता पल में प्रियतम का दिदार अनूठा।।
नेक़ नियत पर खिल जाता है,
सदा ही मेरे साजन का मन।
तुच्छ हो जाता उस घडी़ में,
जगति का सारा वैभव धन।
जीत नहीं प्रियतम के आगे प्रीत में लगता हार अनूठा।
दिल दरिया हो जाता पल में प्रियतम का दीदार अनूठा।।
संग साजन के रहना उत्तम,
जाऊँ पिया पर मै बलिहारी।
दूर प्रियतम से जो रहती है,
वही अभागन जग में नारी।
अमन चैन सब प्रियतम के संग लगता यह संसार अनूठा।
दिल दरिया हो जाता पल में प्रियतम का दीदार अनूठा।
प्यार पिया के पाके पावन,
जीवन जन्म संवर जाता है।
कुछ भी पाना शेष न रहता,
जब पिय से दिल भर जाता है
बेसक "बाबूराम कवि "मन होता सदा बहार अनूठा।
दिल दरिया हो जाता पल में प्रियतम का दीदार अनूठा।।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)
जिला -गोपालगंज (बिहार)
पिन-841508 मो0नं0-9572105032
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मै बाबूराम सिंह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना स्वरचित व मौलिक है ।
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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