स्वतंत्रता दिवस


*स्वतंत्रता दिवस*

आज है स्वतंत्रता दिवस
आज हीं के दिन आपना देश
अंग्रेजो से आजाद हुआ था
आज हीं के दिन लाने में
हमारे विरो ने उनसे
खुद को देश में लगा दिए थे।
दिए कितने नारे वो हमको
फिर आगे का हम पर छोड़ वो
अपनी बलिदान दे दिए थे।

जय हिन्द जय भारत
भारत माता की जय
इन्कलाब जिंदाबाद
करो या मरो
जय जवान जय किसान
जैसे नारा दिए वो
भूलने से भी न भूल पाएंगे
अरे नमन है मेरे भारत माता को
जो हमारे क्रांति वीर लाल जन्माए।

मै अपने भारत भूमि का
क्या - क्या कथा सुनाऊं
जो अंधे को राह दिया
बिछड़े को पनाह दिया
ये भेद न कर पाती अपने और गोद लिए में
ये विदेशी को भी अपना लिया

भगत सिंह जैसे क्रांति कारी
हमारे भारत माता ने ही दी
जिसने बारह वर्ष के उम्र में
जलियांवाला हत्या काण्ड से
अपना पूरा सोच बदला
अपने चाचा के क्रांति कारी किताब पढ़
उसके अंदर खून खौला
उसी उम्र में ठान लिए
तोड़ देंगे आहंकर हम अंग्रेज का
उसको देंगे पूरी तरह बौखला

गए कई बार जेल भगत सिंह
यत्ना झेले और मार भी
लेकिन जेल में हीं उन्होंने
जमा दिए क्रांति का माहौल
का कहे भगत सिंह कि बात
वो तो वहीं, जेल के अंदर
इन्कलाब जिंदाबाद खनका दिए


भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का कांटा
अंग्रेजो को चुभने लगा
जेल में होकर भी वो
इसको नाक का बाल उखाड़ दिए
बिलबिला गया था ये अंग्रेज का नाती
ये भारत मां के छोड़ो से
बनाया प्लान फांसी देने का
ये बुजदिल का लड़का
सोचा रुला देंगे जोरो से
नाकाम रहे वो गोरी चमरी
भारत मां के लाल के सामने
लटक गए खुशी - खुशी वो फांसी पर
इन्कलाब जिंदबाद और भारत माता की जय नारा लगा कर
अरे गर्व है मुझे मेरे माता पिता पर
जो मुझे भारत भूमि पर जन्म दिए।

हमारे स्वतंत्रता के कई पहलू थे
कहीं सांत तो कहीं उग्र
कहीं नरम तो कहीं गरम
कहीं सत्य वादी तो
कहीं साहित्य वादी
बजा था हमारा भी डंका,पूरे जोर शोर से
किए थे दांत खट्टे हमने अंग्रेजो को
हर राह और मोर से
न झुका हमारा देश न कभी झुकने देंगे
मेरा दिल इंतजार कर रहा तुम्हारा
364 दिन के भोर से

जान गवाए थे हमारे देश के
अतुल्य वीरो ने
गांधी जैसे महात्मा हुए
हमारे भारत भूमि के जमी पर
न भूल पाएंगे हम सब
अपने देश हित सोचने वाले को
अरे नमन है मेरा उनको
मेरे दिल के धड़कन के चालो से।

जय हिन्द ,भारत माता कि जय
इन्कलाब जिंदबाद।

✍️ रंजन कुमार, मुजफ्फरपुर बिहार

यह रचना स्वरचित और मौलिक है।


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