बेशर्म

बेशर्म - लघुकथा- अलका

अभी अभी रमाकांत को अस्पताल में भर्ती करा के उनके दोनो बेटे आंफिस निकल गये ,रमाकांत जी पत्नी के जाने के बाद एक दम अकेला महसूस करते थे । दो बेटे जिन्होंने शादी नहीं की बस बिज़नेस बढ़ाने में नोट जमा करने में उम्र खर्च कर रहे है ।
रमाकांत जी अस्पताल आना नहीं चाहते थे पर बेटे माने नहीं बोले पापा हम घर बैठ नहीं सकते कौन देखेगा , आप के लिऐ वहाँ सारी व्यवस्था व सुविधा है । हम सुबह शाम आयेंगे ।
जिसकी उम्मीद रमाकांत को कम ही थी ..!
तभी नर्स चाँदनी रमाकांत जी का बुख़ार टेस्ट करने आती है ,
चाँदनी की खुबसूरती व मासूमियत देख रमाकांत दो मिनट आवाक रह जाते है ।
" चाँदनी सर आप का बुख़ार नापना है मूंह खोले "हाँ हाँ ..
बुख़ार लेने के बाद चाँदनी ने कहाँ सर "एक सौ एक " हैं आप आराम करे ,मैं डाक्टर को आपकी रिपोर्ट बता कर आती हूँ
अरे बेटा रुको तुम से कुछ बात करनी है , "जी सर बोलिये ..
रामाकान्त बोले बेटा शाम को मेरे बेटे आयेंगे तब तुम मेरे पास ही रहना , तुम्हारी शांदी हो गई है
"नहीं सर पिता नहीं है , माँ को अकेले छोड़ नहीं सकती शादी नहीं करने का फ़ैसला लिया है ।
रमाकांत मन मन बहुत खुश हो बोले बेटा मुझे तुम्हारा नम्बर दे दो , और तुम्हारी माँ का भी ..
" क्यों सर ?
शादी की बात करनी है ,,
" सर आप को शर्म नहीं आती इस उम्र में शादी . नहीं नहीं ...
बेशर्म , बेगैरत , अपनी उम्र का ख़्याल करो , मेरे पिता के उम्र के हैं आप ..
चाँदनी एक दम आगबबुला हो गई ..
"अरे बेटा शांत तुम तो मेरी बेटी हो । अपनी उम्र का ख़्याल कर ही बोल रहा हूँ ...
बस मैं तुम्हें मेरे घर की बहू बनाना चाहता हूँ ..तुम्हें और तुम्हारी माँ की जवाब दारी मेरी
बस तुम्हें मेरा कोई एक बेटा पंसद आ जाऐ ?
शाम को मेरे बेटे आयेंगे तुम मेरे पास रहना जो पंसद आये बता देना ...
वो धीरे से बुदबुदाए वैसे मुझे उम्मीद कम है ...
चाँदनी जाते जाते मूडी और बोली सर कुछ कहाँ ..
नहीं बेटी जाओ " पर आ जाना
और रमाकांत ने ऊपर हाथ उठा कर प्रभु से बोले तु क्या क्या जतन करता है अपने भक्तों के लिऐ ..आईडिया तेरा लाजवाब
गुरु , मेरी खुशीयों का तुम्हे ही तो ख़्याल है ...!!
डॉ अलका पाण्डेय
घोषणा
मैं यह घोषणा करती हूँ यह मेरी मौलिक
लघुकथा है , इस पर कोँई भी विवाद होता है तो मैं ज़िम्मेवार हूँ सम्पादक नही
डॉ अलका पाण्डेय
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