शीर्षक -सावन
------------------
मौसम की अंगड़ाई ने ,
दिल को भाव विभोर किया ।
सावन की रिंमझिम बूँदों ने ,
अंग अंग झकझोर दिया ॥
चारु चन्द्र की चंचल किरणें ,
मन में अलख जगाती हैं ।
सावन की पुरवाई भी ,
तन में अगन लगाती हैं ॥
विरह वेदना में विरहन को ,
दिखते हैं चहुँ ओर पिया ।
मौसम की अंगड़ाई ने ,
दिल को भाव विभोर किया ।
सावन की रिंमझिम बूँदों ने ,
अंग अंग झकझोर दिया ॥
तन मन बरसे ,
प्रीत रंग के ।
व्याकुल मन तरसे ,
पिया संग के ॥
मेघों की इस अंगड़ाई में ,
लगते है चितचोर पिया ।
मौसम की अंगड़ाई ने ,
दिल को भाव विभोर किया ।
सावन की रिंमझिम बूँदों ने ,
अंग अंग झकझोर दिया ॥
सर्वमौलिक अधिकार सुरक्षित
विशाल चतुर्वेदी " उमेश "
जबलपुर मध्यप्रदेश
0 टिप्पणियाँ