सावन

शीर्षक -सावन 
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मौसम की अंगड़ाई ने , 
दिल को भाव विभोर किया । 
सावन की रिंमझिम बूँदों ने , 
अंग अंग झकझोर दिया ॥ 
चारु चन्द्र  की चंचल किरणें , 
मन में अलख जगाती हैं । 
सावन की पुरवाई भी , 
तन में अगन लगाती हैं ॥ 
विरह वेदना में विरहन को , 
दिखते हैं चहुँ ओर पिया । 
मौसम की अंगड़ाई ने , 
दिल को भाव विभोर किया । 
सावन की रिंमझिम बूँदों ने , 
अंग अंग झकझोर दिया ॥ 
तन मन बरसे , 
प्रीत रंग के । 
व्याकुल मन तरसे , 
पिया संग के ॥ 
मेघों की इस अंगड़ाई में , 
लगते है चितचोर पिया । 
मौसम की अंगड़ाई ने , 
दिल को भाव विभोर किया । 
सावन की रिंमझिम बूँदों ने , 
अंग अंग झकझोर दिया ॥ 


सर्वमौलिक अधिकार सुरक्षित 
विशाल चतुर्वेदी " उमेश "
जबलपुर मध्यप्रदेश

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